साहित्य-सेवक मार्कण्डेय शारदेय को मिला ‘महाकवि प्रभात सम्मान’

सम्मानित होते साहित्यकार मार्कण्डेय शारदेय

महाकवि केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ हिन्दी साहित्य के अनमोल रत्न थे। उनका ‘कर्ण’ खंड-काव्य भारतीय साहित्य का सबसे ‘अनमोल गहना’ है। उनकी रचनाएं काव्य-कौशल पाठकों को केवल अंदर तक प्रभावित करता है, बल्कि मुग्ध भी करता है ठीक उसी प्रकार की रचना करतें है पंडित मार्कण्डेय शारदेय । यह बातें सोमवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित केदारनाथ मिश्र प्रभात जयंती समारोह सह साहित्यकार पंडित मार्कण्डेय शारदेय की तीन पुस्तकें दीपशलभ, तत्त्वचिन्तन एवं वाग्मिनी का लोकार्पण के दौरान सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने कहीं। श्री शारदेय को 5100 और प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया | कार्यक्रम में सैकड़ो तादात में हिन्दी प्रेमी उपस्थित थें |

पुस्तकें दीपशलभ, तत्त्वचिन्तन एवं वाग्मिनी का लोकार्पण

समारोह में वक्ताओं ने कहाकि आज का दिन बड़ा ही सुखद दिन है जब केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ जैसे साहित्यकार की जयंती के अवसर पर पंडित मार्कण्डेय शारदेय जी की पुस्तकों का लोकार्पण किया जा रहा है |
प्रभात जी की जयंती समारोह में सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने कहा कि प्रभात जी की रचनाओं ने हिन्दी साहित्य को हीं समृद्ध नहीं किया, बल्कि अनेक प्रतिभाशाली साहित्यकारों को प्रेरणा दी। महाभारत के दो अति विशिष्ट पात्र ‘श्री कृष्ण’ और ‘महारथी कर्ण’ पर लिखे गए बहु-पठित उपन्यासों ‘युगंधर’ और ‘मृत्युंजय’ के महान लेखक शिवाजी सामंत ने भी यह स्वीकार किया कि, ‘मृत्यंजय’ की रचना में जो भाव-भूमि तैयार हुई, उसमें प्रभात जी के ‘कर्ण’ की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण थी।


डॉ शंकर प्रसाद ने कहा कि प्रभात जी महान कवि थे। उनकी साहित्यिक और काव्य-प्रतिभा अतुलनीय है। पुस्तक विमोचन के मौके वक्ताओं के द्वारा एक से बढ़कर एक प्रस्तुति हुई सभी वक्ताओं ने हिन्दी जैसी समृद्ध भाषा को व्यापक स्तर पर फैलाने के लिए शासन से सहयोग की अपेक्षा है |
इस अवसर पर इसमें महाकवि प्रभात की पुत्र-वधु डाॅ. नम्रता मिश्र ने गीत भी प्रस्तुत किया |

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